Behen ki chudai

  उसके बाद जब दीदी ने केक काटा तो मां और पापा ने उन्हें एक छोटा-सा तोहफ़ा दिया। वो था एक नाज़ुक-सा गले का चैन। दीदी ने उत्साहित होकर उसे उठाया और गले पर रखने लगी। लेकिन पीछे की कुंडी लगाने में उन्हें परेशानी हो रही थी। वो मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखी और बोली, “ज़रा मदद करोगे ना?”

मैंने चैन अपने हाथ में लिया और धीरे से उनके पीछे खड़ा हो गया। जैसे ही मेरी उंगलियां उनके गले के पास पहुंची, मुझे उनकी गर्दन की गर्माहट और मुलायम त्वचा का एहसास हुआ। उनकी नाज़ुक गर्दन मेरी उंगलियों के बीच कांपती सी लग रही थी। मैं सावधानी से चैन की कुंडी मिलाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसी दौरान उनकी सांसें मेरी उंगलियों से टकरा रही थी और मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

उनके खुले बाल हल्के-हल्के मेरे हाथों से छूते जा रहे थे। उस पल उनकी महक, उनकी गरम त्वचा और उनकी गर्दन की कोमलता ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। मैं जानता था कि मुझे बस चैन लगाना है, मगर मेरी उंगलियां उस स्पर्श को देर तक महसूस करना चाह रही थी।

चैन पहनाने के बाद हम सब खाने के लिए साथ बैठे। खाने की मेज़ पर सबके चेहरे पर हंसी थी, सब मज़ाक कर रहे थे और जन्मदिन का माहौल घर को और भी रौशन कर रहा था। लेकिन मेरे अंदर दीदी की गर्दन का एहसास बार-बार लौट रहा था। उनके झुकने पर दिखती हल्की सी क्लीवेज, और उनकी सांसों की गर्मी मेरे मन में बार-बार तैर रही थी।

उस पल मुझे और भी गहराई से उन्हें महसूस करने की चाह हो रही थी। मगर मैंने खुद को रोका। आज उनका जन्मदिन था और मुझे पता था कि इस दिन अपनी ख्वाहिशें उन पर थोपना ठीक नहीं होगा। इसलिए मैंने अपने दिल की बेचैनी दबाई और सबके साथ खाना खा कर अपने कमरे में चला गया। रात को नींद आते वक्त भी उनकी गर्दन और मुस्कुराहट मेरी आंखों के सामने घूम रही थी।

रात धीरे-धीरे गहराती गई। मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा था, लेकिन नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी। दीदी का चेहरा, उनकी मुस्कान और उनकी गर्दन का एहसास बार-बार मेरे मन में घूम रहा था। तभी अचानक मेरे दरवाज़े पर हल्की-सी दस्तक हुई।

मैं चौंका, और धीरे से उठ कर दरवाज़ा खोला। सामने दीदी खड़ी थी। उनकी आंखों में हल्की थकान थी, लेकिन चेहरा किसी चांदनी रात जैसा दमक रहा था। उन्होंने हल्का-सा ढीला नाइट सूट पहन रखा था, जिस पर छोटे-छोटे फूलों की प्रिंटिंग थी। कपड़े की मुलायम सिल्क जैसी सतह उनके शरीर से चिपकी हुई-सी लग रही थी।

नाइट सूट का ऊपरी हिस्सा उनके सीने पर ढीला होकर गिरा हुआ था, जिससे उनकी उभरी हुई गोलाई साफ़ झलक रही थी। कपड़े के नीचे उनकी सांसों की लय के साथ उनका सीना ऊपर-नीचे हो रहा था। उनके खुले बाल बिखरे हुए कंधों पर पड़े थे और उस वक्त उनकी महक कमरे तक फैल रही थी।

उनकी पतली कमर और ढीले कपड़ों से झलकती कूल्हों की हल्की बनावट मुझे पागल करने लगी। नाइट सूट के कपड़े के नीचे उनके शरीर की गर्मी और नरमी साफ़ झलक रही थी।

मैंने हड़बड़ाते हुए धीमे स्वर में पूछा, “दीदी… आप इस वक्त… मेरे कमरे में?”

वो मुस्कुरा दीं, उनकी आंखों में कुछ गहरा और अनकहा चमक रहा था। उन्होंने धीरे से दरवाज़ा पीछे से बंद कर दिया और अंदर आ गई। उस पल मेरा दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि जैसे बाहर निकल आएगा।

वो धीरे-धीरे मेरी तरफ बढ़ी और बिना कुछ कहे मेरे पास आकर खड़ी हो गई। फिर हल्के से मुस्कुराई और मेरा हाथ पकड़ कर धीरे-धीरे अपने सीने की तरफ ले गई। जैसे ही मेरी हथेली उनकी गोलाई पर पड़ी, नाइट सूट के मुलायम कपड़े के पीछे से उस गर्म और नरम अहसास ने मुझे पूरी तरह से कांपा दिया।

उनकी आंखों में शरारत और चाहत एक साथ चमक रही थी। होंठों पर हल्की मुस्कान थी। फिर बहुत धीरे से उन्होंने कहा, “याद है ना तुमने कहा था, गिफ़्ट क्या चाहिए… अब मैं वही लेने आई हूँ

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